उम्मुलमोमेनीन जनाबे खदीजा (स.अ.) मोमिनो की हक़ीक़ी माँ

FacebookFacebookTwitterTwitterEmailEmailWhatsAppWhatsAppGmailGmailTelegramTelegramLinkedInLinkedInShareShare
पढ़ने का समय: 3 मिनट

क़ुरआने करीम ने अज़वाजे नबी (स.अ.व.व.) को मोमेनीन की माँ होने का रूतबा और दर्जा दिया है। हक़ीक़ी मानो में इस लक़्ब की सब से ज़्यादा मुस्तहिक़ रसूलुल्लाह (स.अ.व.व.) की पहली ज़ौजा जनाबे ख़दीजातुल कुबरा की ज़ाते पाक है। अफ़सोस इस बात का है कि मोर्रेखीन ए इस्लाम ने जनाबे ख़दीजा (स.अ.) के फज़ायेल इस तरह नही बयान किये जो उनके शायाने शान हैं। बनी उमय्या ने हमेशा से बनी हाशिम की दुशमनी में उनके हर एक फ़र्द के फज़ायेल व मनाक़िब ता हददे इमकान छिपाये। इसी बुगज़ व हस्द का नतीजा था बनी उमय्या की हुकूमत में अमीरूल मोमेनीन जैसी शख़सियत पर मिंबरों से मुसलसल लानतें भेजी गयी (माज़ल्लाह)। इसी दरबार के तारीख़ लिखने वालों ने अपने मनसूबे के तहत जनाबे ख़दीजा के फज़ायेल कम कर के सिर्फ़ यही मशहूर किया के उनका बस माल ही इस्लाम के काम आया। हालांकि उनकी ख़िदमतें उस से कई गुना ज़्यादा हैं।

आप ही के आँगन में इस्लाम के इस लहलहाते दरख़्त का बीज बोया गया। आप ही ने इस्लाम की शुरू से परवरिश की जबकी कुफ़फा़रे क़ुरैश इस नये मज़हब की सख़्त मुख़ालिफ़ थे। अगर जनाबे खदीजा की ख़िदमतें न होती तो इस्लाम की कली मक्का के रेगिस्तान में मुरझा कर रह जाती। हर वो चीज़ जिस की ज़रूरत इस्लाम को थी जनाबे खदीजा ने पेश कर दी। जब से नबी करीम (स.अ.व.व.) के दोश मुबारक पर नबुअत का बोझ पड़ा,आपने उनका भरपूर साथ दिया।

दीन की तबलीग़ में आप रसूलुल्लाह (स.अ.व.व.) के शाना ब शाना रहीं । रसूलुल्लाह (स.अ.व.व.) मुस्तकिल कई शबो रोज़ ग़ा हेरा में ख़ुदा के बुलावे पर चले जाते, तो उनकी ज़रूरत की चीज़े आप फ़राहम करतीं। मुशरेकीने मक्का इस्लाम और उसके रसूल का मज़ाक उड़ाते, उनकी बातों पर तनज़िया जुमला कसते , जिस से आंहज़रत (स.अ.व.व.) को दिली तकलीफ़ होती, मगर घर पहुँच कर ये सारी तकलीफ़ें जनाबे ख़दीजा के अख़लाक व मोहब्बत से सब काफ़ूर हो जातीं। आप की वफात के बाद भी दुसरी अज़वाज की मौजुदगी के बावजूद आप ने हमेशा जनाबे ख़दीजा की कमी को महसूस की है। रसूलुल्लाह (स.अ.व.व.) इस क़दर उनकी खिदमतों और मोहब्बत का ज़िक्र करते के बाज़ अज़वाजे रसूल उनसे हस्द करने लगीं। आपका सारा माल ग़ुर्बा व मसाकीन मुसलमानों की किफ़ालत पर ख़र्च हुआ। जबकी इस्लाम की तबलीग़ का आग़ाज़ सर ज़मीने मक्का पर हुआ तो सब से पहले ग़ुलामों और समाजी तौर पर कमज़ोर लोगों ने इसे कबूल किया। इन में जनाबे बिलाल, जनाबे यासिर और उनकी अहलिया की मिसालें दि जाती हैं। नतीजा हुआ के इन ग़ुलामों के आका इन पर और मज़ालिम करने लगे। रसूलुल्लाह इन ग़ुलामों को उनके आक़ाओं से ख़रीद कर आज़ाद कर देते । यही इब्तेदाई फरज़न्दाने इस्लाम थे जिनकी किफ़ालत में जनाबे ख़दीजा की दौलत इस्तेमाल हुई। न सिर्फ़ ये बल्कि जब कुफ़फा़रे मक्का के मज़ालिम मुस्लमानों पर हद से ज़यादा पडने लगे तो रसूलुल्लाह (स.अ.व.व.) ने इन में कुछ को हबशा की तरफ़ हिजरत कर जाने का हुक्म दिया, मक़सद ये था के इस से उनकी जान भी बच जाए और पैग़ामाते इस्लाम भी दुसरे एलाकों तक फ़ैल जायें। इस सफर के इख़राजात में भी जनाबे ख़दीजा की दौलत ख़र्च हुई है। तारीख़ बताती है के इस तरह के दो सफर मुसलमानों ने किये हैं।

शेबे अबुतालिब की सख़तियों में आप ख़ुद भुकी रहकर मुस्लमानों की शिक्म परवरी करती रहीं। इस तरह आपकी मादरी शफ़क़त में इस्लाम और मुस्लमानों की नशोनुमा हुई है।

आप की दीगर ख़िदमात रसूलुल्लाह (स.अ.व.व.) का हर हाल में साथ देना भी है और दो ऐसी शख़सियतों की परवरिश है जिन्होंने इस्लाम की बुनियाद को मज़बूत रखा। अमीरूल मोमेनीन जनाबे अली इब्ने अबी तालिब (अ.स.) और सय्यदातुन निसाइल आलमीन जनाबे फ़ातेमा (स.अ.)। ये दोनों वो हस्तियाँ थीं जिन्होंने हर गाम पर और हर मुहाज़ पर रसूलुल्लाह (स.अ.व.व.) की नुसरत व मदद की है। जनाबे सय्यदा (स.अ.) ने अपने पिदरे बुज़रगवार की इस तरह ख़िदमत की है जिस तरह एक माँ अपने बच्चे की ख़िदमत करती है। यही वजह है कि सरवरे कायनात (स.अ.व.व.) अपनी चहेती बेटी को ‘‘ उम्मो अबीहा’’ कहा करते थे।

अलमया है कि रसूलुल्लाह (स.अ.व.व.) ने जिन्दगी भर जिस ज़ौजा की मोहब्बत का बारहा इज़हार किया, उम्मत ने उन्हें फ़रामोश कर दिया और जिस ज़ौजा ने रसूल (स.अ.व.व.) को बारहा तकलीफ़ पहुँचाई उसका क़सीदा मुस्लमान सुबह व शाम पढ़ते रहते हैं।

noorehaq

Recent Posts

क्या अबू बक्र की ख़ेलाफ़त को मुसलमानों का इज्माअ़्‌ ह़ासिल था? (अह्ले तसन्नुन आ़लिम की राय)

क्या अबू बक्र की ख़ेलाफ़त को मुसलमानों का इज्माअ़्‌ ह़ासिल था? (अह्ले तसन्नुन आ़लिम की…

1 year ago

रसूल (स.अ़.व.आ.) के ह़क़ीक़ी अस्ह़ाब कौन हैं?

रसूल (स.अ़.व.आ.) के ह़क़ीक़ी अस्ह़ाब कौन हैं? अह्ले तसन्नुन के यहाँ येह रवायत बहुत मशहूर…

1 year ago

वोह बह़्स जिस ने बहुत से लोगों को शीआ़ मज़हब में तब्दील कर दिया

वोह बह़्स जिस ने बहुत से लोगों को शीआ़ मज़हब में तब्दील कर दिया मुस्लिम…

1 year ago

बुज़ुर्गाने दीन की क़ुबूर पर तअ़्‌मीर क़ाएम करना सुन्नते सह़ाबा है।

बुज़ुर्गाने दीन की क़ुबूर पर तअ़्‌मीर क़ाएम करना सुन्नते सह़ाबा है। मुसलमानों में ऐसे बहुत…

1 year ago

अमीरुल मोअ्‌मेनीन अ़ली इब्ने अबी तालिब (अ़.स.) के फ़ज़ाएल शीआ़ और सुन्नी तफ़सीर में

अमीरुल मोअ्‌मेनीन अ़ली इब्ने अबी तालिब (अ़.स.) के फ़ज़ाएल शीआ़ और सुन्नी तफ़सीर में जारुल्लाह…

1 year ago

क्या मअ़्‌सूमीन (अ़.स.) ने कभी भी लअ़्‌नत करने की तरग़ीब नहीं दी?

क्या मअ़्‌सूमीन (अ़.स.) ने कभी भी लअ़्‌नत करने की तरग़ीब नहीं दी? जब अह्लेबैत (अ़.स.)…

1 year ago