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तौक़ीए इमामे ज़माना (अलैहिस्सलाम) बनाम जनाबे उस्मान बिन सईद अमरी

इमामे ज़माना (अलैहिस्सलाम) ने ग़ैबत के दौरान अपने कुछ ख़ास और मोतमिद शियों से तौक़ी के ज़रिए राबता क़ाएम रखा…

4 years ago

जो चुप रहेगी ज़बाने खंजर लहू पुकारेगा आसतीं का

दूसरी क़ौमों और मिल्लतों की तरह तारीख़े इसलाम भी इक्तेदार पसन्द लोगों के जराएम से भरी पड़ी है। इस किताब…

4 years ago

जनाबे फ़ातेमा ज़हरा (अलैहास्सलाम) और ताग़ूत का इनकार

ला इक्राह फ़िद्दीने कद्तबय्यनर्रुश्दो मिनल ग़य्ये फ़मय्यकफ़ुर बित्ताग़ूते व योमिम बिल्लाहे फक़दिस तम्सक बिल उर्वतिल बुस्क़ा लन फ़िसाम लहा वल्लाहो…

4 years ago

मौला अली (अलैहिस्सलाम) मुक़द्दमए फ़िदक के अहम गवाह

“व यकूलुल लज़ीन कफ़रू लस्त मुर्सला कु़ल कफ़ा बिल्लाहे शहीदुम बैनी व बैनकुम व मन इन्दहू इल्मुल किताब” (सूरए राद,…

4 years ago

इमामे अली नक़ी (अलैहिस्सलाम) के कुछ इल्मी कमालात

हज़रत इमाम अली इब्ने मोहम्मद तक़ी (अलैहिमस्सलाम) का इस्मे गिरामी अली था और कुन्नियत अबुलहसन सालिस थी। आपके मशहूर अल्क़ाब…

4 years ago

सवाल: क्या ग़दीर का शुमार इस्लामी ईदों में होता है या यह ईद सिर्फ़ शीओं से मख़्सूस है?

जवाब: यह ईद शीओं से मख़्सूस नहीं है, अगरचे शीआ इस ईद से बहोत ज़्यादा लगाओ रखते हैं, बल्कि मुसलमानों…

4 years ago

सक़लैन क्या है?

हज़रत रसूले काएनात सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम का इरशादे गिरामी है "मैं तुम्हारे दरमियान दो गिराँ क़द्र चीजें छोड़कर…

4 years ago

मुसलामानों के दरमियान पैग़म्बरे इस्लाम (स.अ.) और अमानियत का एहसास

सूरए माएदा आयत नं. 67 का यह हिस्सा निहायत ग़ौर तलब और क़ाबिले फ़िक्र है, इसलिए कि रसूले अकरम (स.अ.)…

4 years ago

आबिदों की ज़ीनत अली इब्नुल हुसैन (अ.स.)

मुख्त़सर तआर्रुफ़ विलादत:  38 हिजरी जमादीऊअव्वल मुक़ामे विलादत - मदीनए मुनव्वरा कुन्नियत - अबु मोहम्मद अलक़ाब – ज़ैनुल आबेदीन, सय्यदुस्साजेदीन,…

4 years ago

उम्मुल मोमेनीन ख़दीजा (स.अ.) से आय़शा का हसद

हज़रते ख़दीजा रसूले ख़ुदा (स.अ.) की पहली बीवी होने के साथ साथ इसलाम क़ुबूल करनेवाली पहली खा़तून भी हैं। आँ-हज़रत…

4 years ago