अल्लाह का हाथ कौन है?

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अल्लाह का हाथ कौन है?

कुछ मुसलमान शियों पर अमीरुल-मोमेनीन अलैहिस्सलाम और अइम्मा अलैहिमुस्सलाम की हैसियत को बढ़ा चढ़ा कर पेश करने का इल्ज़ाम आइद करते हैं। उनका दावा है कि शियों ने अइम्मा अलैहिमुस्सलाम के लिए सिफ़ात ईजाद की है। उनके ख़्याल में आइम्मए मासूमीन अलैहिमुस्सलाम को किसी खास खु़सूसीयात का फुकदान नहीं था और उनकी हैसियत में इज़ाफ़ा करना बिदअत के मुतरादिफ़ है, क्योंकि उनका दावा है कि आँहज़रत  स.अ. ख़ुद महिज़ बशर थे और उन सिफ़ात से मुबर्रा थे। फिर अइम्मा किराम अलैहिमुस्सलाम एक हैरत-अंगेज और हैरत आवर अलक़ाब कैसे इखतियार कर सकते हैं।? हमेशा की तरह वह अमीरुल मोमेनीन अली अलैहिस्सलाम को यदुल्लाह, ऐनुल्लाह (शिर्क) का लकब देते हैं

हम इस्लाम के एक मुमताज़ स्कालर के माबैन इस बहेस का हवाला देंगे कि वह अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम के लिए इन सिफात को साबित करें और इस में कोई शक नहीं कि तमाम मुसलमान तस्लीम करते हैं कि ख़ासतौर पर अमीरुल-मोमेनीन अलैहिस्सलाम के साथ आइम्मए मासूमीन अलैहिमुस्सलाम इन ग़ैर-मामूली सिफ़ात और फ़ज़ीलत के मालिक हैं, और शियों के खोखले दावे और जालसाज़ी नहीं हैं।

अल्लामा अमीनी (रह.) नाक़ेदीन को खामोश कर देते हैं।

अल्लामा अमीनी (रह.), जो अज़ीमुश्शान आलिम और तहक़ीक़ के अनमोल जिस्म अलग़दीर के मुसन्निफ हैं, ने अपने सफ़र के दौरान एक महफ़िल में शिरकत की जिसमें एक सुन्नी आलिम ने उन्हें ललकारा।

सुनी आलिम: आप शिया हज़रात अली इब्ने अबी तालिब अ.स. के मुआमले में मुबालग़ा आराई से काम लेते हैं और मुआमलात को बुलंद करते हैं। मिसाल के तौर पर आप उन्हें इन अलक़ाब से पुकारते हैं जैसे यदुल्लाह (अल्लाह का हाथ) ऐनुल्लाह (अल्लाह की आँख), वगैरा। इस तरह के लक़ब से किसी सहाबा को मुलक़्क़ब करना दुरुस्त नहीं है।

अल्लामा अमीनी रह. बगैर किसी शिकस्त के मुकाबले किए अगर उमर बिन ख़त्ताब ने अली अलैहिस्सलाम को इन अलक़ाब के साथ बयान किया था तो आपका क्या कहना होगा

सुन्नी आलिम : उमर का क़ौल हमारे लिए काफ़ी सबूत होगा।

अल्लामा अमीनी (रह.) ने महफ़िल में एक मुस्तनद सुन्नी किताब तलब की। दरख़्वास्त के मुताबिक़ उन्हें किताब ला के दी गई। अल्लामा अमीनी (रह.) उस सफ़ह की तरफ़़ मुतवज्जा हुए जहां यह हिकायत लिखी गई थी। एक शख़्स, जो खानए काबा का तवाफ़ करने में मसरूफ था, नापसंदीदा अंदाज में एक औरत की तरफ़ देखने लगा अली इब्ने अबी तालिब अलैहिमस्सलाम ने इस हालत में उसे देखा। इन्होंने उसे अपने हाथ से मारा और इस तरह से उसे सजा देने की कोशिश की। इस शख़्स ने अपने चेहरे पर हाथ रखा और अली इब्ने अबी तालिब अ.स. के खिलाफ़ शिकायत करने की नीयत से बेचैन अंदाज में उमर के पास पहुंचा। उसने उमर से सारा वाक़िया बयान किया।

उमर ने जवाब दिया यकीनन, अल्लाह की आँख ने देखा और अल्लाह के हाथ ने मारा। (यहां इस्तेआरा यह है कि बिजली की आँखों से गलती नहीं हो सकती हैं क्योंकि अली अलैहिस्सलाम की आँखें वह आँखें हैं जो अल्लाह के अक़ीदे के साथ सुजाई गईं हैं और ऐसी आँख से कोई ग़लती नहीं हो सकती है। अली अलैहिस्सलाम हरकत नहीं करते मगर अल्लाह के इतमीनान के हुसूल के लिए।

जब सुन्नी आलिम ने इस रिवायत को देखा तो वह उस के मुज़मेरात को समझ गए और अल्लामा अमीनी (रह.) के सामने तस्लीम हो गए। दर-हक़ीक़त जिस तरह रूहुल्लाह (रूहुल्लाह) जैसी इस्तिलाहात हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम (अल्लाह के साथ एक काबिले एहतिराम रिश्ते की ताकीद करती हैं और इस मतलब के साथ नहीं कि अल्लाह की रूह है, अल्लाह का हाथ यदुल्लाह और उनकी आँख ऐनुल्लाह नहीं है। लफ़्ज़ी तौर पर लिया जाये और सिर्फ़ इस उनवान से मुज़य्यन शख़्स की हैसियत को उजागर किया जाये।

अन-निहाया फी ग़रीबिल हदीस वल असर अज़ इब्ने असीर, जि. 3 स. 332

अल-मसनफ अज़ अबदुर्रज़्ज़ाक़ सुनानी, जि. 1. सफह 41.

कंज़ुल आमाल, जि. 5 स. 462

तारीख़े मदीना दमिश्क़ जि. 17 सफह 42

जवाहिरुल-मतालिब, जि. 1, सफह 199

जामेउल अहादीस जि. 26 सफ़ह 29

जामे मोअम्मरबी, राशिद, जि. 1 सफ़ह 144

लिसानुल अरब जिल्द 13, सफ़ह 3.9

मुदख़ील फ़िल लुग़त, मुहम्मद अबदुल-वहीद सफ़ह 49

अल-अमबल-मुस्तताब अज़ इब्ने सय्यदुलकूल, सफ़ा 62 जैसा कि शरहे एहक़ाक़ुल-हक़, जि. 8, सफ़ह 665 से रिवायत किया गया है। और जिल्द 31 सफा 498 और ज़खाइरुल उक़बा सफ़ह 82

अल-रियाजुन-नज़रा, जि 1, सफ़ह 247

मुख़्तसर तारीख़े दमिश्क़ जिल्द 3, सफ़ह 66

अल-बसाइर वज़ ज़ख़ाइर, जिल्द 1 सफा 124 मामूली तग़य्युर के साथ।

 

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